विशेषज्ञों द्वारा जैविक खेती, जल संरक्षण एवं जल संवर्धन पर एक दिवसीय कार्यशाला में परम्परागत कृषि पर जोर

(दंतेवाडा़ से हमारे संवाददाता उमा शंकर एवम् विनीता देशमुख की रिपोर्ट)

(लोक असर समाचार दंतेवाडा़)

जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के देख देख में परम्परागत कृषि विकास योजना वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण अन्तर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का विशेष आयोजन गीदम ब्लॉक के स्थित जांवगा ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ ।

दंतेवाड़ा जिले में जैविक खेती को बल देने और जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के मुद्दे पर आयोजित इस कार्यक्रम में चारों विकासखंडों से लगभग 1 हजार से अधिक कृषकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

उक्त कार्यशाला में भारत के जाने-माने जैविक खेती विशेषज्ञ महाराष्ट्र के यवतमाल जिले से आये सुभाष शर्मा के द्वारा जैविक खेती करने वाले किसानों को खेती के लाभ, भूमि की उर्वरक क्षमता में वृद्धि, उससे संबंधित प्रचलित धारणाओं, उनका समाधान, जल संरक्षण के तहत किये जाने वाले सामुदायिक प्रयास, के विषय में विस्तारपूर्वक से चर्चा किया गया।

’’नाम फाउंडेशन पुणे’’ के प्रतिनिधि गणेश थोरात ने भी किसानों को अपनी खेती में जल और मिट्टी के संरक्षण और जैविक विधि से फसल उत्पादकता में वृद्धि के संबंध में जानकारी दी।

मिलेट फसलों में मूलतः कोदो-कुटकी एवं रागी फसल उत्पादन के संबंध में लघु धान्य विशेषज्ञ जैकप के द्वारा किसानों से महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई।

इस कार्यक्रम के अंत में उप संचालक कृषि एसके पंसारी ने जिले में जैविक एवं वृहद प्रमाणीकरण के दिशा में जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के द्वारा किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी देते हुए कहा गया कि दंतेवाड़ा जिला एक जैविक जिला के रूप में जाना जाता है। जिसका संवर्धन और विकास हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है और स्थानीय कृषक धान के अलावा अन्य फसल लगाने में भी रूचि लेवें।

मुख्य रुप से जिला पंचायत सदस्य सुलोचना कर्मा, जिला पंचायत सदस्य वैशुराम मण्डावी, जिला पंचायत सदस्य संगीता नेताम सहित अन्य अधिकारी गण एवं कृषकजन उपस्थित थे।

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