(लोक असर समाचार बालोद/जगदलपुर)
अखिल भारतीय साहित्य परिषद आणंद गुजरात इकाई द्वारा वड़ताल स्थित श्री स्वामी नारायण धाम के सभा कक्ष में मातृ स्वरूपा,कुटुम्ब, समाज और राष्ट्र की रचायिता भारतीय नारी की गौरव गरिमा और महिमा विषय पर 31/08/2024 एवम 01/09/2024 को दो दिवसीय महिला साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ महामंडलेश्वर लक्ष्मी शंकर त्रिपाठी के द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में हुआ। समग्र भारत से महिला साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया था अतः यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर का होने के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण था।
इस सम्मेलन में देश भर के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 125 सक्रिय महिला कलमकारों की उपस्थिति रही। हिमाचल प्रदेश ,उड़ीसा पंजाब,जम्मू, कश्मीर,मणिपुर, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के सभी राज्यों को मिलाकर 20 राज्यों ने अपनी प्रतिभागिता निभाई और विदुषी महिलाओं ने भाग लिया।
साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर कुमुद शर्मा अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संगठन मंत्री श्रीधर परणकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर निरंजन पटेल डॉक्टर कुसुम खेड़िया के प्रतिनिधित्व में कार्यक्रम का सुनियोजित ढंग से संचालन हुआ। कार्यक्रम में समस्त भारत की विदुषी महिला साहित्यकारों ने उत्तम प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की मुख्य शोभा तब बढ़ी जब पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह, प्रखर मुखर वक्ता पद्मश्री डॉक्टर नीरजा माधव तथा पद्मश्री डॉ. निवेदिता भिड़े जैसी उत्कृष्ट हस्तियों के आशीर्वचन प्राप्त हुए।
महिला साहित्यकार सम्मेलन में मूर्धन्य वरिष्ठ लोक साहित्यकार जोगेंद्र महापात्र जोगी जगदलपुर के मार्गदर्शन में जगदलपुर से दो महिला साहित्यकारों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से चयनित 4 महिला साहित्यकारों में दो जगदलपुर से शिक्षाविद संस्कृति और संस्कृति की उल्लेखनीय कलमकार डॉक्टर सुषमा झा और लोक साहित्य परंपरा की जानकार कलमकार पूर्णिमा सरोज ने कार्यक्रम में सहभागिता दी और अपने प्रांत और बस्तर जिले को गौरवान्वित किया। रायपुर की वरिष्ठ और अनुभवी साहित्य विदुषी साहित्यकार श्रीमती चंद्रकला त्रिपाठी की गरिमामय उपस्थिति रही।
इस राष्ट्र स्तरीय आयोजन में सभी प्रकार की उत्तम व्यवस्था के साथ देश के कोने-कोने से आई प्रबुद्ध लेखिकाओं को उनकी प्रतिभा प्रेषित करने के लिए सार्थक मंच प्रदान किया गया । दो दिवस तक भिन्न भिन्न सत्रों में देश भर की साहित्यकार विदुषी महिलाओं ने अपने विचार रखे।
इस संवेदनशील सम्मेलन का आधार रहा स्त्री अस्मिता और नेतृत्व की भूमिका पर परिसंवाद विश्व में भारतीय संस्कृति का और अन्य अराजक तत्वों का इसके दुष्प्रचार और भ्रामक अवधारणा का खंडन।
कार्यक्रम मुख्य आकर्षण कवि सम्मेलन में जगदलपुर की डॉ सुषमा झा ने अपनी स्वरचित कविता पाठ से तालियां बटोरी वहीं पूर्णिमा सरोज ने अपनी कविता “बदल रहा है अब दिन युग भी बदल रहा है …. .का पाठ कर सभी का दिल जीता।
राष्ट्रीय कार्यक्रम में सुदूर बस्तर से छत्तीसगढ़ राज्य की साहित्य सम्मेलन में उपस्थिति को सफलतापूर्वक मंच में अपने ओजस्वी और जोशपूर्ण काव्य पाठ से मुखरित किया।
छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल बस्तर से महिला साहित्यकारों की सक्रिय भागीदारी की आयोजकों द्वारा भूरि भूरि प्रशंसा की गई। सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई।
इस आयोजन में बस्तर से सक्रिय भागीदारी हेतु वरिष्ठ साहित्यकार जोगेंद्र महापात्र जोगी, सुभाष पांडे, रुद्रनारायण पाणिग्रही, नरेंद्र पाढ़ी एवम् अंचल के साहित्यकारों ने बधाई एवम् शुभकामनाएं प्रेषित की।