रचना और रचना कर्म संदर्भ- डुमन लाल ध्रुव पर केंद्रित कार्यक्रम में “मन के पांखी और केंवट कुंदरा” कृति का हुआ विमोचन

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DHAMTARI

डुमन लाल ध्रुव अपने परिवेश को जानने समझने वाले साहित्यकार हैं – डॉ.बिहारी लाल साहू

लोक संस्कृति के मूल संदर्भों को अभिव्यक्त करती कहानी मन के पांखी – डॉ.कविता वैष्णव

साहित्य संगीत सांस्कृतिक मंच मुजगहन, जिला हिन्दी साहित्य समिति धमतरी, नेहरू युवा केंद्र, फ्रीडम एकेडमी, शास्वत उपसर्ग नाट्य मंच धमतरी के संयोजन में रचना और रचना कर्म संदर्भ – डुमन लाल ध्रुव (50 वें जन्मदिन के अवसर पर केंद्रित ) पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह का आयोजन साहित्य सदन मुजगहन ओंकार साहू विधायक धमतरी के मुख्य आतिथ्य, हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि एवं धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के संरक्षक सुरजीत नवदीप की अध्यक्षता, कुंवर निषाद विधायक गुंडरदेही, एम. ए. छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम के प्रवर्तक दुर्गा प्रसाद , अनुसूचित जनजाति आयोग छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व अध्यक्ष जी.आर. राना लखनलाल भौर्य सेवानिवृत्त केंद्र निदेशक आकाशवाणी रायपुर, परमानंद वर्मा पूर्व संपादक मंडई के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने हिंदी- छत्तीसगढ़ी के प्रख्यात लेखक कवि डुमन लाल ध्रुव की छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह मन के पांखी एवं छत्तीसगढ़ी उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद पारकर की कृति केंवट कुंदरा का विमोचन किया गया ।

सुश्री पारुल साय रायपुर को छत्तीसगढ़ सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल जज की परीक्षा में चयनित होने पर, चुड़ामणी पात्र भानुप्रतापपुर, किरण साहेब धमतरी, श्रीमती प्रतिमा पिल्ले कुरुद, आकाश गिरी गोस्वामी धमतरी को शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए शाल श्रीफल, अभिनंदन पत्र,आम का पौधा ( एक पेड़ मां के नाम ) भेंटकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक ओंकार साहूने बधाई देते हुए कहा कहानी लेखक डुमन लाल ध्रुव ने मनुष्य की जिंदगी में रोज-रोज हस्तक्षेप होने वाली घटनाओं को प्रतीक और कहीं बिम्ब के रूप में इस्तेमाल किया है।

विशेष अतिथि गुंडरदेही विधायक कुंवर निषाद ने कहा छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने में सभी साहित्यकार लगे हुए हैं जो छत्तीसगढ़ से प्रेम करते हैं छत्तीसगढ़ी से प्रेम करते हैं। हमें छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। यदि हम ही इस काम को नहीं करेंगे तो कौन करेगा। अंग्रेजी के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी शिक्षा भी बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। मन के पांखी कहानी के लेखक डुमन लाल ध्रुव ने जीवन के आरंभ से ही प्रकृति के प्रति आकर्षित रहे हैं। यथार्थ की पथरीली जमीन पर खड़े होकर कहानी को स्थापित किया है।

अध्यक्षता कर रहे धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति के संरक्षक सुरजीत नवदीप ने कविता के माध्यम से चुटीले अंदाज में कहा डुमन की कहानी में जीवन की प्रमाणिक गंध की अनुभूति है।सूक्ष्म अवलोकन और अपने परिवेश के प्रति गहरा लगाव कहानी को ताजगी और चमक प्रदान करता है ।

रचना और रचना कर्म संदर्भ– डुमन लाल ध्रुव के 50 वें जन्मदिन के अवसर पर रायगढ़ से पधारे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर बिहारी लाल साहू ने कहा कि अपने परिवेश और अतीत को ठीक से जानने समझने वाले साहित्यकार हैं डुमन लाल ध्रुव । छत्तीसगढ़ी माटी के सबसे मयारुक कहानीकार हैं जिनकी मया ही पूंजी है जो छत्तीसगढ़ की मिट्टी से बतियाते हैं, लिखते हैं। समाज में कमजोर तबकों के लिए हमेशा चिंतित रहते हैं। जो काम कभी यशस्वी कवि नारायण लाल परमार जी किया करते थे आज वही काम डुमन लाल ध्रुव कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी कहानी मन के पांखी एतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर आधारित समकालीन समाज की समस्याओं के प्रति क्रांति का उद्बोधन करने वाली श्रृंखलाबद्ध कहानी है। कहानीकार अपने अनुभव, अध्ययन, अनुभूति और संवेदना को समुचित सृष्टि में बिखेर देना चाहता है।

छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह मन के पांखी का वैचारिक परिदृश्य पर डॉ.कविता वैष्णव ने कहा – लेखक डुमन लाल ध्रुव साहित्यिक जगत में अपनी पृथक पहचान बन चुके हैं। छत्तीसगढ़ी में कथा कहने की उनकी अपनी विशिष्ट शैली है। ध्रुव जी की सहज, सुबोध भाषा शैली कहानी को लोक संस्कृति के मूल संदर्भों में अभिव्यक्त करने में सक्षम है। ध्रुव जी के साहित्य में उनके व्यक्तित्व की सहजता, जीवनानुभवों, विचारों एवं लोक संवेदना की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। ध्रुव जी एक कुशल गद्यकर भी हैं , उनके गद्य के नवीन स्वर में निज लय के साथ सामाजिक सरोकार भी स्वतरू अभिव्यक्त हो जाता है । उनकी कहानियों की ग्रामीण पृष्ठभूमि विषय वस्तु एवं पत्र लोक संवेदना की मार्मिकता से ओत-प्रोत है।उन्होंने अपनी कहानियों में विषय वैविध्य के साथ-साथ सामाजिक प्रश्नों एवं चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद पारकर ने कहा डुमन लाल ध्रुव अपन कद काठी के बड़का साहित्यकार हैं। मन के पांखी कहानी में मानवीय सम्पृक्ति, जो लेखक की सभी कहानियों की प्रमुख विशेषता है। शब्दों की जादूगरी से परिचित होने पर भी वे शब्दों का जाल कभी नहीं बुनते। कहानियों में अभिव्यक्ति के नए सांचे ढाले गए हैं।

रुद्र नारायण मिश्रा कोरिया ने कहा कहानी जिस नये समाज निर्माण की बात करती है उसकी भूमिका मन के पांखी में अच्छी तरह देखी जा सकती है। जितना विराट व्यक्तित्व डुमन लाल ध्रुव का है उस पर कहने के लिए मैं बहुत छोटा व्यक्ति हूं। मैं उनके लिए सिर्फ इतना ही कहूंगा कि वह गीता के उपदेश को जी रहे हैं।

डुमन लाल ध्रुव की छत्तीसगढ़ी कविता का शिल्प विधान पर शासकीय भानुप्रतापदेव महाविद्यालय कांकेर के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉक्टर स्वामी राम बंजारे ने कहा कहानी में आदमी के दैनिक जीवन के सुख-दुख और हर्ष- विषाद तथा उत्थान-पतन से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। इसलिए उसमें सांस सांस की टकराहट है तथा आदमी और आदमी के रिश्ते की पहचान है । वह किसी अमूर्त लोक में रहस्यात्मक जिज्ञासा पैदा कर खो नहीं जाती है, लेकिन जमीन की जड़ से अपने पोषण के लिए रस पाती है और फिर उस रस को उसी पर उड़ेल देना चाहती है। उसके शब्द भी इसीलिए सीधे-सीधे इस स्थूल और आदमी को सहारा देने वाली जमीन से ही अपना जीवन प्राप्त करते हैं कहानी मन के पांखी।

आकाशवाणी केंद्र रायपुर के सेवानिवृत्त केंद्र निदेशक लखनलाल भौर्य ने कहा कहानी में सार्थक दिशाबोध और गहरा दृष्टिकोण है। कहानी पूरी ताकत से अपनी बात कहती है और हर दृष्टिकोण से खरी उतरती है।

अनुसूचित जनजाति आयोग छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व अध्यक्ष जी.आर राना ने कहा कहानी में आम आदमी के जाने पहचाने शब्द हैं। अमानवीयता और जटिलता के बावजूद भी लेखन कर्म को मजबूती प्रदान की है।

छत्तीसगढ़ी अंक मड़ई के पूर्व संपादक परमानंद वर्मा ने कहा कहानी में लेखक ने यथार्थ का चित्रण सरल से सरल शब्दों, प्रतीकों और बिम्बों के माध्यम से किया है। बड़ी बारीकी से उधेड़कर अध्येताओं के समक्ष रख दिया है।

बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव शासकीय महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. अनंत दीक्षितने कहा डुमन ने कहानी में स्थितियों का हवाला जिस ढंग से देते हैं उससे लेखक का विशिष्ट व्यक्तित्व बना रहता है।

आदिवासी समाज के अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष आर. एन ध्रुव ने कहा कहानी के माध्यम से लेखक ने अपने आसपास के वातावरण को उजागर करने की एक सार्थक और जनोन्मुखी पहल की है।

रचना और रचना कर्म संदर्भ- डुमन लाल ध्रुव के इस गरिमामय आयोजन में साहित्यकारों ने केक काटकर यशस्वी एवं दीर्घायु जीवन की मंगल कामना की।

कार्यक्रम का संचालन कवि जयकांत पटेल ने किया। इस अवसर मुख्य रूप से जे. एल साहू , दीप शर्मा, दिलीप कुमार नाग, हरिशंकर ध्रुव, माही ध्रुव, डॉ.भारती गुरुनाथ राव, वीणा नायडू, डॉ.रचना मिश्रा, डॉ.सरिता दोशी, डॉ.भूपेन्द्र सोनी, डॉ.डी.एस देव ,विरेन्द्र सरल, रामेश्वर साहू, द्रोण सार्वा, जोहत राम नेताम, श्रीमती सतरुपा नेताम, मयंक ध्रुव, श्रीमती कविता ध्रुव, अंजना द्वारिका प्रसाद तिवारी, राजकुमार तिवारी,गीता हीरालाल साहू, धनेश्वरी मन्नम राना, भूपेन्द्र मानिकपुरी, लोकेश साहू, राजकुमार सिन्हा, संध्या मानिकपुरी, शिल्पा मानिकपुरी, अजीत एक्का सहायक संचालक जनसंपर्क,अमीत नूनवानी, नवजोतसिंह सिद्धू, मनोज जायसवाल, सोहद्रा डेमन नेताम, पिंकी वेदप्रकाश ध्रुव, चन्द्रहास साहू,माधुरी मार्कण्डेय , दिव्या ध्रुव,वीणा ध्रुव, डॉ.रामायन लाल साहू,सीमा यशवंत मंडावी, खुश्बू नेताम,लोकेश प्रजापति, प्रदीप कुमार साहू,राम मंडावी, रामकुमार विश्वकर्मा, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा, मोहम्मद तारिक अनवर, शैलेन्द्र चेलक ,सूरज साहू, आर्यन सोनकर, ओमप्रकाश साहू,डेमन लाल साहू, मुकेश साहू, धनंजय पांडे, देवेश पांडे , उपस्थित थे।

डुमन लाल ध्रुव

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