छत्तीसगढ़िया मन के मान मर्यादा बर लड़इया क्रान्तिकारी कवि अउ गीतकार
छत्तीसगढ़ी गीत के अमर गायक- लक्ष्मण मस्तुरिया

7 जून – लक्ष्मण मस्तुरिया के जयंती म विशेष


लोक असर के लिए ओम प्रकाश अंकुर का लेख

मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी… मंय छत्तीसगढ़िया अंव… पता दे जा रे गाड़ी वाला… पड़की मैना… मंगनी म मांगे मया नइ मिलय… मन डोले रे माघ फगुनवा… घनही बंसुरिया… सोना खान के आगी… जइसे गीत के लिखइया जन कवि स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया के आज 72 वां जनम दिन हरे. मस्तुरिया जी हा अपन अपन गीत, कविता अउ गायन के माध्यम ले छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ला जगाइस अउ सुग्घर ढंग ले अपन हक खातिर लड़े के रद्दा बताइस. वोकर गीत मा एक डहर जिहां छत्तीसगढ़ महतारी के गजब बखान हे अउ दूसर कोति छत्तीसगढ़वासी मन के भोला पन के वर्णन के संगे संग किसान, मजदूर ला जगाय के उपाय हे.
जिनगी भर छत्तीसगढ़िया मन के मान मर्यादा बर लड़इया अइसन क्रान्तिकारी कवि अउ गीतकार के जनम बिलासपुर जिला के मस्तुरी गाँव म 7 जून 1949 के होय रिहिस हे. शुरुआत के जिनगी गजब संघर्ष ले बीतिस.वोहर राजकुमार कालेज रायपुर म शिक्षक के रूप म अपन सेवा दीस. बाद म हिंदी विभागाध्यक्ष घलो रिहिस.
जउन मन ह दाउ रामचन्द्र कृत चंदैनी गोंदा ला अपन खूब मिहनत ले ऊँचाई तक पहुँचाइस वोमा लक्ष्मण मस्तुरिया ह प्रमुख रीहिस. लक्ष्मण मस्तुरिया ह गीत अउ गायन पक्ष ल गजब सजोर बनाइस. मस्तुरिया जी के लिखे अउ गाये
गीत ह जनता के बीच गजब लोक प्रिय होइस . छत्तीसगढ़ के आकाशवाणी केन्द्र मन म उंकर गीत ह खूब चलिस. रायपुर दूरदर्शन म गीत प्रसारित होइस. उंकर गीत ल सुन के मन हा खुशी से झूमे लागय त कतको गीत ह छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाइस. वोकर गीत के खूब आडियो अउ वीडियो रूप बनिस. पान ठेला, होटल के संगे संग बर बिहाव, षट्ठी, कोनो भी सार्वजनिक कार्यक्रम म मस्तुरिया जी के गीत रंग झाझर मंता देय. वोकर गीत ल सभा -संगोष्ठी म बजा के / गा के जनता म जोश भरे जाथे. स्कूल /कॉलेज के वार्षिक समारोह म मस्तुरिया के गीत ह कार्यक्रम म जान डाल देथे.
लक्ष्मण मस्तुरिया के बारे म डॉ. बल्देव जी ह लिखथे -“लक्ष्मण मस्तुरिया हमर अग्रज कवि हरि ठाकुर जइसन वीर अउ ऋंगार, क्रांति अउ पीरित के अद्वितीय गायक आय .कहूँ -कहूँ उन बहुत करीब हे, लेकिन शैली के थोर बहुत अन्तर तो रहिबेच करही.”

छत्तीसगढ़वासी मन के स्वाभिमान ल वो कइसे जगाइस वोकर उदाहरण देखव –
सोन उगाथौं माटी खाथौ ।
मान ल देके हांसी पाथौ ।।
खेती खार संग मोर मितानी ।
घाम मयारु हितवा पानी ।।

मोर इही जिनगानी मंय नगरिया अंव ग
किसन के बड़े भइया हलधरिया अंव रे …
झन कह मोला लेढ़वा डोमी करिया अंव ग
सिधा म सिधा नइ तो डोमी करिया अंव रे…
मैं छत्तीसगढ़िया अंव रे…

मोर संग चलव गीत म वोहर छत्तीसगढ़िया मन ल जगाय के काम करथे. बिपत संग जूझे बर कहिथे.
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी
वो गिरे थके हपटे मन अउ परे
डरे मनखे मन
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव ग
बिपत संग जूझे बर भाई मंय बाना बांधे हंव ।
सरग ल पिरथी म ला देहू प्रन अइसे ठाने हंव ।।
मोर सुमता के सरग निसेनी जुरमिल सबो चढ़व रे….
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी…
मस्तुरिया जी के ऋंगार गीत ल सुन के मन ह मयूर जइसे नाचे ल लगथे. अंतस ह मगन हो जाथे.

पता दे जा ले जा गाड़ी वाला रे
तोर नाम के तोर गाँव के तोर काम के…
पता दे जा…
जियत जागत रहिबे बयरी
भेजबे कभू ले चिठिया
बिना बोले भेद खोले रोये
जाने अजाने पीरीतिया
बिन बरसे उमड़े घुमड़े
जीव मया के बयरी बदरिया
पता दे जा रे गाड़ी वाला…
अइसने “पड़की मैना “गीत ल सुनके हिरदे ल गजब उछाह लागथे.

वारे मोर पड़की मैना, तोर कजरेली नैना
मिरगिन कस रेंगना तोरे नैना
मारे वो चोंखी बान, हाय रे तोर नैना…

वियोग ऋंगार रस मा मस्तुरिया के गीत ल सुन के मया करइया मन के आंसू ह टपक जाथे.

काल के अवइया कइसे आज ले नइ आये
तोला का होगे, रस्ता नइ दिखे बइरी तोर…
का कहूं रस्ता म काहीं अनहोनी होगे
का कहूं छोड़ मया ल संगवारी जोगी होगे
घेरी बेरी डेरी आंखी कइसे फरकाये
तोला का होगे, टीपकी टीपकी आंसू गिरे मोर…

अइसने अउ उदाहरण प्रस्तुत हे..

सरी रतिहा पहागे तैं नइ आये रे
तोला घेरी बेरी बइरी मंय सपनायेंव रे…
अइसन का होगे काम
भूलिगै देह ल परान
का तो महि हौं अभागिन
अपने होगे आन
आ आ नींद बइरी आंखी ले उड़ि जाय रे…

शोषण करइया मन ल मस्तुरिया जी खूब ललकारय .
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हम तो लूट गयेन सरकार तुंहर भरे बीच दरबार
खुल्लम -खुल्ला राज म तुंहर अहा अत्याचार
रइहो रइहो खबरदार…
हाय विधाता दिन -दिन बाढै देस म अत्याचारी
परमिट वाले डाकू भइगे जन सेवक सरकारी
सुतरी सुतरी छांद फांद के लूटै पारी -पारी
हांस रे लछमन करम ठठा नइ रोवे म उबार
हम तो लूट गयेन सरकार तुंहरे भरे बीच दरबार…

मस्तुरिया जी ह “सोनाखान के आगी” म शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता ल गजब सुग्घर ढंग ले प्रस्तुत करे हवय .

फेर सुरता आगे उही प्रन के ।
फरकिस भुजा बरन ललियाय ।।

आंखी जले लगिस लक लक ।
कटरै दांत, बदन अंटियाय ।।

नहीं नहीं संगी ये मरना तो ।
कायर अउ मन हारे के ।।
मोर जिनगी मोर परजा खातिर।
जे मोला मुखिया माने हे ।।

जमींदार मंय सोना खान के ।
सोना उपजै मोर माटी म ।।
जिहां के भुंईधर भूख मरत हे ।
आग बरै मोर छाता म ।।

उनकी अमिट रचनायें…

मस्तुरिया के रचना म हमू बेटा भुइंया के (काव्य संग्रह), चंदैनी गोंदा में लक्ष्मण मस्तुरिया के गीत ,छत्तीसगढ़ के माटी (छत्तीसगढ़ दर्शन ),सोना खान के आगी, माटी कहे कुम्हार से (निबंध संग्रह) अउ घुनही बंसुरिया (गीत संकलन) प्रमुख हे. मस्तुरिया जी ह सन् 2000 मा बने मोर छइंहा भुइंया, मंजरी सहित कतको छत्तीसगढ़ी फिलिम बर गीत लिखे के सँगे सँग गायन करिस.
कछ बेरा तक लोकासुर मासिक पत्रिका के संपादन घलो करीस.

सम्मान –

 छत्तीसगढ़िया जन जागरण के अग्रदूत मस्तुरिया जी ल राज्य सरकार द्वारा जउन सम्मान मिलना रिहिस वो नइ मिल पइस. आंचलिक साहित्य म गजब लिखइया साहित्यकार मन ला शासन द्वारा पं. सुंदर लाल शर्मा सम्मान देय जाथे. वहू नइ देय गिस. जबकि मस्तुरिया जी के कई ठन गीत ह छत्तीसगढ़ के स्वभिमान गीत हरे. पृथक छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के समय मस्तुरिया के गीत ह शंखनाद के काम करिस. 

पर मस्तुरिया जी ह जनता के प्यार ल सबले बड़का सम्मान माने. एक चैनल म इंटरव्यू देत खानि वोहा पूरा दम खम के साथ ये बात ला बोले रिहिस. ये इंटरव्यू देत समय सुप्रसिद्घ गीतकार जनाब मीर अली मीर जी घलो उंकर संग रिहिस.

हमर छत्तीसगढ़ के कतको साहित्यिक अउ सांस्कृतिक संस्था मन हा मस्तुरिया जी ल सम्मानित करिस. येमा छत्तीसगढ़ी काव्य भूषण, लोक स्वर, विशेष प्रतिभा सम्मान, स्व. ठाकुर प्यारे लाल सिंह सम्मान, छत्तीसगढ़ी विभूषण, सृजन सम्मान, रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान ।

मस्तुरिया जी के कवि सम्मेलन म अब्बड़ मांग रहय. छत्तीसगढ़ के सबो प्रमुख शहर अउ कतको गाँव म वोहा काव्य पाठ करे हे.वोकर लोक प्रियता ल देख के भीड़ भाड़ ल रोके बर वोला आखिरी डहर काव्य पाठ कराय जाय.

  एक बढ़िया गद्यकार 

मस्तुरिया जी ह बहुमुखी प्रतिभा के धनी रीहिस हे. एक बढ़िया कवि, गीतकार, सुमधुर गायक के संगे संग वो गद्यकार के रुप म अपन एक अलग छाप छोड़िस हे. 2015 म वैभव प्रकाशन ले प्रकाशित उंकर गद्य संग्रह “गुनान गोठ “म 34 लेख हे. गुनान गोठ म पोठ लेख हे. येमा शामिल कई ठन लेख म नंगत व्यंग्य झलकथे. उंकर व्यंग्य लेख “गाय न गरु सुख होय हरु “ह एम. ए. हिन्दी साहित्य म शामिल रीहिस हे. उंकर निबंध संग्रह “माटी कहै कुम्हार से ” ह साहित्य बिरादरी म गजब सराहे गीस.

जब लाल किले ले करिस कविता पाठ

मात्र 25 साल के उम्र म 20 जनवरी 1974 म नई दिल्ली के लालकिले म गणतंत्र दिवस के अवसर म आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन म काव्य पाठ करीस. वोहा देश के नामी कवि/गीतकार गोपाल दास नीरज, बाल कवि बैरागी, इन्द्रजीत सिंह तुलसी, रामावतार त्यागी, रमानाथ अवस्थी मन संग अपन प्रस्तुति दीस. येहर वोकर लोक प्रियता के सबले बड़का उदाहरण हे .

छत्तीसगढ़ के ये रतन बेटा ह 3 नवंबर 2018 म परम लोक चले गे.
मस्तुरिया जी ल उंकर 73 वीं जयन्ती मा शत् शत् नमन हे. विनम्र श्रद्धांजलि. लोक असर परिवार कोती ले घलो

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