अखिल गोंडवाना गोंडी साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.एल. कोर्राम मनोनित
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लोक असर समाचार बालोद/धमतरी
गोंडवाना गणतंत्र गोटूल दलदलकुही, गोंडवाना सेवा न्यास अमूरकोट अमरकंटक, गोड़वाना यूथ क्लब डोंगरगढ़ एवं समस्त ग्रामवासी दलदलकुही के द्वारा वरिष्ठ गोंडी साहित्यविद शीतल मरकाम के मुख्य आतिथ्य एवं बी.एल. कोर्राम गोंडी इतिहासविद के अध्यक्षता व गोंडवाना गोंड महासभा के प्रदेश अध्यक्ष नीलकंठ टेकाम, महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हिम्मत सिंह आर्मो महासभा के प्रदेश महासचिव , प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ छत्तीसगढ़ आर एन ध्रुव, गोंडवाना गोंड महासभा के मुखपत्र (शंभू संदेश) के प्रधान संपादक कृष्णा नेताम, गोंडी फिल्म निर्माता महेश वट्टी, साहित्य समिति के बस्तर प्रभारी इन्दो टेकाम, जनक ध्रुव, गोंडवाना गोंड महासभा युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष चेमसिंह मरकाम के विशेष आतिथ्य में अखिल गोंडवाना गोंडी धर्म संस्कृति एवं साहित्य सम्मेलन का आयोजन गोंडवाना गणतंत्र गोटूल कोयली कचारगढ़, दलदलकुही, आमगांव जिला गोंदिया महाराष्ट्र संपन्न हुआ।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री टेकाम ने कहा कि गोंडवाना का इतिहास वैभवशाली रहा है। हमें समय के साथ शिक्षा रूपी अस्त्र को अपनाकर गोंडवाना के समृद्धि इतिहास को भविष्य में और मजबूत करना है। आर.एन. ध्रुव ने समाज के लेखकों, कवियों एवं गोंडवाना पर शोध करने वाले शोधार्थियों से आह्वान किये कि ज्ञानवापी, ताजमहल जैसे आज देश के अनेकों धरोहरों पर पांच हजार साल पहले के इतिहास का अध्ययन कर वास्तविकता देश के सामने लाने की जरूरत है। निश्चित ही इन सबमें कहीं ना कहीं गोंडवाना का इतिहास मिलेगा। उन्होंने कहा कि सन 1881 में देश की आजादी के लिए उड़ीसा के कोलावीरा स्टेट में गोंडवाना के तीन राजाओं को एक साथ मद्रास रेसीडेंसी से तोप मंगा कर उड़ा दिए थे। ऐसे शूरवीरों के अतुल्य योगदान को खोज–खोज कर लिखने की जरूरत है। अखिल गोंडवाना गोंडी साहित्य परिषद का राष्ट्रीय स्तर पर गठन किया गया। सर्वसम्मति से बी.एल. कोर्राम वरिष्ठ इतिहासविद को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में एवं शीतल मरकाम को संरक्षक के रूप में मनोनीत किया गया।
आगामी राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन नवंबर 2022 को छत्तीसगढ़ में आयोजित करने का निर्णय लिए। कार्यक्रम का संचालन शेर सिंह गोंडिया ,एस एल सरियाम द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पूरे देश भर से साहित्यविद, लेखक एवं शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।