दंतेवाड़ा के अंदरूनी क्षेत्रों में मिले स्क्लेरोडर्मा नामक बीमारी, आरोग्य शिविर में 500 लोगों का हुआ परीक्षण

lok asar dantewada

(दंतेवाड़ा से हमारे संवाददाता उमा शंकर की रिपोर्ट)

आज़ भी सुदूर वनाँचल में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है. आज़ भी ऐसे इलाकों में निवासरत लोगों को रोगग्रस्त होने पर बैगा गुनिया और झाड फूँक पर निर्भर रहने की विवशता है.सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं आज़ भी नहीं पहुँच पा रही है. ऐसे में निजी संस्थाओं का उन क्षेत्रों चिकित्सिय शिविर आयोजन को किसी राहत से कम नहीं कहा जा सकता.
गत दिवस आयोजित शिविर में 500 से अधिक मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. जिसमें बच्चों एवं महिलाओं से संबंधित एनीमिया, सिकलसेल, जैसी बीमारियों के साथ बीपी, शुगर जैसे रोग शामिल है. शिविर में सर्वाधिक 400 बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया. वहीं 100 से अधिक महिला पुरुष का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया गया.

यह आयोजन शांतिकुंज गायत्री परिवार हरिद्वार द्वारा संचालित माता भगवती विद्यालय चोलनार के प्रांगण एवं दंतेवाड़ा जिले का खूबसूरत ग्राम पंचायत गढ़मीरी के एक छोटा से गाँव पटेलपारा में 30 नवंबर एवं 1 दिसंबर को सफलता पूर्वक आरोग्य शिविर सम्पन्न हुआ. ग्राम चोलनार एवं गढ़मिरी जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से तक़रीबन 22 व 55 किलोमीटर दूर स्थित है । यह कुआकोंडा तहसील के अंतर्गत आता है.

बता दें कि आयोजित आरोग्य शिविर में वनवासी कल्याण आश्रम बारसूर, दंतेवाड़ा के आरोग्य सेवा केन्द्र के डॉ. रामचंद्र गोड़बोले, श्रीमती सुनीता गोड़बोले के आग्रह में, दुर्ग और भिलाई जैसे नगरों से नामचीन डॉक्टरों की टीम ने भागीदारी निभाई.

इन डाक्टरों की रही भूमिका

सेवाभावी डाक्टरों के समूह में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर सुधीर हिसिकर, चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दीप चटर्जी, मेडिसिंस के डॉक्टर पीयूष देवांगन, डॉक्टर विवेक देवांगन के साथ साथ अगर स्त्री रोग विशेषज्ञों की बात करें तो डॉक्टर श्रद्धा चुग एवं डॉक्टर मणि शर्मा की अग्रणी भूमिका रही. अनुभवी फार्मासिस्ट प्रमोद और संजय खंडेलवाल ने भी अपने डॉ. मित्रों का सहयोग उचित मेडिसिंस को प्रदान करने का दायित्व निभाये.

पूरे दिन भर के स्वास्थ्य शिविर में क्रमशः चोलनार और गढ़मीरी ग्राम पंचायत के आस पास के गांव वालों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

ज्ञात हो, इस आरोग्य शिविर के मुख्य आयोजक वनवासी कल्याण आश्रम बारसूर दंतेवाड़ा सह बनफूल परिवार दंतेवाड़ा की थी.

आरोग्य शिविर के आयोजन को पूर्ण रूप से क्रियान्वयन में जमीनी कार्यकर्ताओं के रूप में एकल अभियान और युवोदय के टीमों की विशेष भूमिका रही.

भारती कुष्ठ निवारक संघ हलबाराश, दंतेवाड़ा के बैनर तले सिकलसेल की जांच का भी प्रावधान भी इस आरोग्य शिविर में था.

प्रायोजित आरोग्य शिविर का मुख्य उद्देश्य बस्तर संभाग के दुरस्त पहुँचविहीन क्षेत्रों में स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों को आरोग्य शिविर के माध्यम से प्रचार प्रसार करना, कुपोषण के शिकार बच्चे, माताएं, बहनों के साथ साथ बुजुर्गो का भी सुचारू तरीके से इलाज करना सम्मिलित है.

पिछले लगभग तीन दशक से लगातार स्वास्थ्य की सेवा प्रदान कर रहे, गोड़बोले डॉक्टर दंपति डॉक्टर रामचंद्र गोड़बोले एवं सुनीता गोड़बोले का कहना है कि हमारी यह मुहिम बस्तर को स्वस्थ्य बस्तर समृद्ध बस्तर बनाने तक लगातार जारी रहेगी. उन्होंने दुर्ग, भिलाई से आए डॉक्टर्स का विशेष आभार व्यक्त करते हुए लोकल स्तर पर सहयोग दे रहे जिला प्रशासन की युवोदय टीम, एकल अभियान दंतेवाड़ा, भारती कुष्ठ निवारक संघ हलबाराश के साथ साथ पंचायत के सरपंच, सचिव और ग्राम के गणमान्य लोगों का भी पूर्ण हृदय से आभार प्रकट किया.

डॉक्टर्स टीम के नेतृत्वकर्ता डॉक्टर प्रदीप हिसिकर के साथ साथ चर्म रोग विशेषज्ञ अनुभव भी डॉक्टर दीप चटर्जी से जब हमने उनके यहां तक आने का प्रेरणा श्रोत और अनुभव के बारे में पूछा तो उन्होंने इसका पूरा श्रेय डॉक्टर गोड़बोले दंपति को सहृदय दिया और साथ ही उन्होंने अपनी निस्वार्थ, निःशुल्क सेवा को लगातार प्रदान करने के आश्वाशन भी पूरे ग्रामवासियों को दिया.

गर्म कपड़ों का किया गया वितरण

डॉक्टर सुधीर ने योग आश्रम भिलाई सेक्टर 10 और सेवा भारती से प्राप्त ग्रामीणों हेतु गरम कपड़ों (कम्बल, चादर, स्वेटर ) का भी वितरण किया गया. गर्म कपड़े प्राप्त कर ग्रामीणों ने खुशियां जताई. इसका आभार दोनों ग्राम पंचायत के सरपंचों ने स्थानीय भाषा गोंडी में आरोग्य शिविर से जुड़े सभी संस्थाओं का अभिवादन करते हुए दुबारा करने की आशा भी जताई.

डॉ. दीप चटर्जी ने कहा नई बीमारी स्क्लेरोडर्मा के है लक्षण

स्क्लेरोडर्मा का मतलब है, ‘कठोर त्वचा’. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसके कारण त्वचा और शरीर के दूसरे हिस्सों में सूजन और मोटापन आ जाता है. इस बीमारी में, प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ज़्यादा सक्रिय हो जाती है और शरीर बहुत ज़्यादा कोलेजन बनाता है.
कोलेजन, त्वचा, मांसपेशियों, और दूसरे संयोजी ऊतकों का निर्माण करने वाला खंड है. स्क्लेरोडर्मा के कुछ प्रकार सिर्फ़ त्वचा को प्रभावित करते हैं, जबकि कुछ प्रकार पाचन तंत्र, फेफड़े, गुर्दे, हृदय, और दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं.

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