पटेल पारा (गुमियापाल) में लाखों रुपए से निर्मित उप स्वास्थ्य केंद्र लोकार्पण के इंतजार में खंडहर में तब्दील

(दंतेवाड़ा से हमारे संवाददाता उमा शंकर की ग्राउंड रिपोर्ट )

••LOK ASAR DANTEWADA••

जिला दंतेवाड़ा के ब्लॉक कुआकोंडा अंतर्गत ग्राम पंचायत गुमियापाल के आश्रित ग्राम पटेल पारा में लोकार्पण कराए जाने की प्रतीक्षा में उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इसका कभी सुध नहीं लिया गया। भवन का ढांचा मात्र खड़ा है। खिड़की, दरवाजे, वाश बेसिन, शौचालय, विद्युतीकरण सामग्री लगाए गए थे वह भी निम्नस्तरीय इतने सालों में रख रखाव नहीं होने के चलते सब नष्ट हो चुका है। आखिर इसके दोषी कौन है?

यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकारी दक्षिण बस्तर के जिला दंतेवाड़ा धुर नक्सल प्रभावी क्षेत्र है ऐसा भय बताकर अधिकारी इसका पूरा फायदा उठाते हैं। इस प्रकार से दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया जाता है। जबकि योजनाओं की राशि का पूरा उपयोग कर लिया जाता है।

सरकारी योजनाओं की राशि का ऊपर से नीचे तक बंदरबांट करने में जरा भी हिचकिचाते नहीं है। ग्राम पंचायतों के विकास को लेकर तमाम तरह की योजनाएं बनाई गई हैं, किन्तु उन क्षेत्रों में योजनाओं की नींव रखी भी जाती है लेकिन निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है।

ऐसे ही एक मामला लोक असर की टीम को देखने को मिली। पूरा वाक्या कुछ ऐसा है-

उप स्वास्थ्य केंद्र पटेल पारा(गुमियपाल) की आबादी लगभग 1500 बताई जाती है अलावा इसके आसपास के ग्रामीणों को नज़दीक में ही स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने की उद्देश्य से गुमियापाल के आश्रित ग्राम पटेल पारा में लाखों रुपए की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए भवन निर्माण कराया गया। निर्माण पश्चात् विभाग ने कोई रुचि नहीं दिखाई। यह कहना गलत होगा बल्कि यह कहा जाना चाहिए कि विभाग भवन बनवा कर भूल गया।

पहुंच विहीन गांवों में भी सरकार की योजनाएं पहुंच तो जाती है, कहीं कहीं धरातल पर नज़र भी आती है लेकिन मुकम्मल तौर पर निर्माण कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जाता, सिर्फ कागज़ों में दर्शाने, दिखाने के लिए फोटो खिंच जाने तक एक प्रकार से भवन का ढांचा बनाया जाता है। स्तरहीन साजो सामान (मटेरियल)लगा दिया जाता है ताकि राशि आहरण कर सरकारी खजाने का बंदरबांट किया जा सके।

पटेल पारा निवासी हुंगा मीडियामी से हमारे संवाददाता द्वारा पूछने पर बताया कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण 15 वर्ष पूर्व किया गया था। लेकिन कभी खुल न पाया। आज पर्यन्त स्वास्थ्य विभाग का एक कार्यकर्ता तक नहीं पहुंचा है।

विभागीय अधिकारी 15 वर्षों से कुंभकर्णी निद्रा से जाग नहीं पाया। या फिर भ्रष्टाचार के चलते जानबूझकर इसके लोकार्पण में हीलाहवाला किया गया है। यह जांच का विषय है। जब लोक असर की टीम ने पूरे मामले को उजागर किया है तब जाकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा यह कहा जा रहा है कि इस की सत्यता की जांच होगी? सवाल यह आता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग के 15 वर्षों से कर क्या रहे थे। अब देखना यह होगा कि भ्रष्टाचार का ठीकरा किसके सर फूटता है?

सीएचएमओ अजय रामटेके ने हमारे संवाददाता से कहा कि आपके माध्यम से संज्ञान में आया है। बीएमओ से इस पर चर्चा कर अवगत कराता हूं।

इधर बीएमओ देशदीपक कुआकोंडा ने बताया कि सीएचएमओ को अवगत करवाया गया है। जिला पंचायत सीईओ की संज्ञान में लाया गया है।

सरपंच श्रीमती रीवा मीडियामी जो कि महिला है कार्यों का दारोमदार पंचायत सचिव दयालु का है। उनका कहना है कि प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिला। जबकि कई बार इस आशय की जानकारी विभाग को दिया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *