लोक असर समाचार बालोद
कचादूर स्थित जिले का एकमात्र विशेष आवासीय प्रशिक्षण केंद्र जो कि 2015-16 से बंद पड़ा था, जिसे लंबे प्रयास के पश्चात प्रारंभ कराया जा सका है। साथ ही केंद्र को शिक्षा विभाग से अलग करा संचालन की जवाबदेही समाज कल्याण विभाग को दिया गया, जिसमें समाज कल्याण विभाग द्वारा सक्रियता दिखाते हुए आनन-फानन में 5 जुलाई 2022 को इस विशेष आवासीय प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ संसदीय सचिव एवं क्षेत्रीय विधायक कुंवर सिंह निषाद के हाथों कराया गया। किंतु समाज कल्याण विभाग के अधिकारी की संवेदनहीनता शुभारंभ दिवस से ही परिलक्षित होने लगा था। केंद्र खुलने के एक माह पश्चात बच्चों की सुविधाओं का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। कुल मिलाकर विशेष आवासीय प्रशिक्षण केंद्र महज दाल-भात सेंटर बनकर रह गया है।
उदघाटन अवसर पर पहुंचे थे विधायक श्री निषाद
केंद्र का शुभारंभ और अव्यवस्था का आलम-
समाज कल्याण विभाग की लापरवाही एवं संवेदनहीनता पहले दिन ही उजागर हो गया था, लेकिन केंद्र खुलने की खुशी में उस वक्त व्यवस्था को लेकर किसी ने कुछ नहीं कहा जबकि दूर-दराज गांवों से आए पालको व बच्चों को पानी तक के लिए नहीं पूछा गया, भोजन और स्वल्पाहार दूर की बात थी। पालक अपने दृष्टिहीन बच्चों को सुबह से लेकर केंद्र पहुंच गए थे, लेकिन विभाग द्वारा उनके लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया था। बता दें कि उद्घाटन के मुख्य अतिथि विधायक कुंवर सिंह निषाद काफी विलंब से पहुंचे थे। उनके लिए बैठने तक की व्यवस्था सुव्यवस्थित नहीं था। विधायक केंद्र में पहुंचे बच्चों को माला पहना कर एवं दो तीन मरम्मत कार्यों को शीघ्रता से कराने का आदेश देने के पश्चात चले गए। उनके दो शब्द सुनने के लिए पालक – बालक तरसते रह गए।
बिखरा पड़ा है पुराने सामान–
संस्था बंद होने की बात से रद्दी व कचरे की भांति पुराने सामान यहां वहां कमरे में बिखरा हुआ है। उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। न ही नये सामान खरीदा जा रहा है। शुभारंभ के दिन स्तरहीन गद्दे बच्चों के लिए खरीदा गया है। उनके कमरे एवं क्लास रूम में कहीं पंखे हैं कहीं पंखे बिगड़े हालत में है, उसे भी दुरुस्त नहीं कराया जा रहा है।
यहां पर नहाते हैं बच्चे
खुले में नहाने मजबूर हैं दिव्यांग बच्चे
एक माह बीत जाने के बाद भी दिव्यांग बच्चों के लिए नहाने की व्यवस्था नहीं कराया गया है। बच्चे मिडिल स्कूल के बच्चों के मध्यान भोजन पश्चात बर्तन धुलाई के लिए बनाया गया नलों पर नहाने विवश है। बता दें कि इस आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में सिर्फ बालक ही नहीं अपितु बालिकाएं भी अध्ययनरत है। उन्हें भी खुले में नहाने की मजबूरी है। लेकिन यहां पदस्थ वार्डन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है और ना ही समाज कल्याण के अधिकारी एक कान में जूं चलता है।
नहीं है पाठ्यसामग्री, कंप्यूटर भी है खराब–
केंद्र में रहकर पढ़ाई करने वाले दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए ब्रेल लिपि की किताबें अत्यंत जरूरी होती है, लेकिन समाज कल्याण विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराया गया है। पुरानी किताबों से बच्चे काम चला रहे हैं, जबकि किताब चिथड़े हो गई हैं। इन पाँच सालों में पाठ्यक्रम में भी कई परिवर्तन किए जा चुके हैं। कंप्यूटर खराब हालत में हैं। कंप्यूटर कक्ष में छत से पानी टपक रहा है। टेबल जिसमें कंप्यूटर है दीमकों ने अपना भोजन बना लिया है। ब्रेल लिपि की किताबें भी नहीं है लेकिन इस ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बरामदे में बैठे हुए शिक्षक
न तो क्लासरूम, न किताबें, न उपकरण आखिर शिक्षक पढ़ाये कैसे-
बच्चों को व्यवस्थित रूप से बिठा कर पढ़ाने की सुविधा भी नहीं है। क्लास रूम नहीं है। बच्चे बरामदे में बैठते हैं। शिक्षकों के लिए बैठक व्यवस्था नहीं है। जिस बेंच में बच्चे बैठते हैं उसी बेंच में बैठकर शिक्षक उन्हें पढ़ाने मजबूर हैं। बच्चों के पढ़ने के लिए ना ब्रेल लिपि की किताबें हैं न ही ब्रेल पेपर है, न फ्लैश कार्ड है और नहीं वाइट बोर्ड है केंद्र में। एक माह के भीतर में समाज कल्याण के अधिकारी द्वारा किसी प्रकार के उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया है जबकि प्रारंभ होने की पहले इस विषय को लेकर उप संचालक से चर्चा किया गया था तब उक्त अधिकारी ने यह कहा था कि सब व्यवस्था कर ली गई है। लेकिन आज भी व्यवस्था में कई पेंच है। जिससे ऐसा लगता है विभाग के अधिकारी जिले के इस एकमात्र दिव्यांगों के लिए संचालित हो रहे आवासीय प्रशिक्षण केंद्र को दाल भात सेंटर बना कर रखा हुआ है।
वार्डन का रुखा व्यवहार
सूत्रों की मानें तो पालक अपने बच्चों को यहां दाखिला के लिए लाते हैं, किंतु यहां की व्यवस्था एवं वार्डन के रूखे व्यवहार को देख वापस चले जाते हैं। कहीं ऐसा ना हो यहां पदस्थ वार्डन के व्यवहार चलते केंद्र में तालाबंदी की नौबत ही ना आ जाए।
तीन बार बदल गये रसोइये
एक महीने के भीतर तीन बार रसोइये बदल दिया गया है। आखिर क्या वजह है कि रसोइये यहां काम नहीं करना चाहते? ग्रामीणों का कहना है कि जिले के बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाय बाहर जिले से कर्मचारी रख रहे हैं।
कर्मचारियों के सेटअप का पता नहीं-
उप संचालक द्वारा विभाग के नियमों को ताक में रखकर कर्मचारियों की संरचना (सेटअप) अपना मनमानी चला रहे हैं। अब तक यहां पर कितने कर्मचारी होंगे अभी तक तय नहीं किया गया है। कर्मचारियों की संरचना (सेटअप) क्या होगी कोई पता नहीं है। अबतक चौकीदार भी नियुक्त नहीं किया गया है। जबकि यह केंद्र आवासीय होने के साथ बेहद संवेदनशील भी है। और कभी भी अनहोनी घट सकती है।
एस डी एम के निर्देश का पालन नहीं
पिछले दिनों एसडीएम दौरा करने पश्चात व्यवस्था में सुधार लाने वार्डन को आदेश दिए थे। लोक असर की टीम ने केंद्र पहुंच कर वार्डन से व्यवस्था में बदलाव को लेकर पूछा तो तैश में आकर बात करने लगी। बता दें कि एस डी एम को दौरे किये तकरीबन दो सप्ताह होने के बाद भी कोई सुधार नहीं किया गया है।
वार्डन कर रही लाल स्याही का उपयोग– प्राप्त जानकारी के अनुसार उपस्थिति पंजीयक में वार्डन द्वारा लाल स्याही की इस्तेमाल की जाती है, जो नियमतः उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। केंद्र में नियमानुसार प्रशिक्षित वार्डन और केयर टेकर की नियुक्ति दिव्यांगजनों की पढ़ाई लिखाई पर आधारित होना चाहिये था लेकिन विभाग के अधिकारी द्वारा अकुशल कर्मचारी को नियुक्त किया गया है। ऐसे में शिक्षकों के स्कूल नही आने की स्थिति में बच्चों को पढ़ा सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।
क्या कहती हैं वार्डन
पाठ्यसामग्री के संबंध में उनका कहना था कि टीचर लिस्ट नहीं दे रहे हैं। तो कैसे मंगाएंगे। बच्चे खुले में नही नहाते। यहां पर वर्तमान में रसोइये सहित सात कर्मचारी हैं। विभाग से जितना आदेश मिलता है उतना कार्य हो रहा है। वार्डन को व्यवस्था के संबंध में पूछे जाने पर संतोषप्रद जवाब नहीं दिया बल्कि बहस बाजी पर उतारू हो गई।
समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक नदीम काजी से केंद्र की व्यवस्था को लेकर पूछने पर बताया बहुत जल्द ठीक हो जायेगा। वहीं उनके द्वारा कुछ सवालों का जवाब इस तरह दिया गया।
बच्चे खुले में नहाते हैं मुझे इसकी जानकारी नहीं है। ब्रेललिपि की किताबें पिछले सप्ताह भेज दिया गया है। पुराने सामान को शिक्षा विभाग को वापस कर देंगे। चौकीदार की नियुक्ति दो दिन में कर लिया जाएगा। संधारण कार्य का प्रपोजल भेज दिया गया है। समावेशी शिक्षा अंतर्गत अभी केंद्र का संचालन किया जा रहा है। वहां जितने भी कर्मचारी है सभी को कलेक्टर दर पर रखा गया है।