कबीर तीर्थ मंदरौद में अनेक विचारकों ने वर्षावास के महत्व के सन्दर्भ में क्या कहा
LOK ASAR BALOD
कार्यक्रम का आगाज कबीर के भजनों से हुआ। अतिथियों का प्रबोधन एवं प्रतिभा सम्मान के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर संतजनों, बुद्धिजीवीयों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा वर्तमान परिवेश पर अपने विचार रखा गया।
वर्षावास का महत्व आज भी प्रासंगिक है संत भुवनेश्वर साहेब
बारिश के दिनों में नदी, नाले, पहाड़ के रास्ते होकर पैदल यात्रा करना सम्भव नहीं होता था। तब तथागत बुध्द अपने विशाल भिक्षु समुदाय के साथ विहार में या किसी एक स्थान पर चार माह रहकर धम्म उपदेश करते थे। वर्षावास आज से 2600 वर्ष पूर्व तथागत बुद्ध एवं महावीर के जीवनकाल से होते हुए आ रहा है। यह परम्परा आज भी भारतीय बौद्ध व संत परम्परा में जीवित है। इस परम्परा को कबीर मत में भी बनाये रखने के लिए विश्व भ्रमणशील संत भुवनेश्वर साहब ने इसमे समसामयिक एवं समतावादी संसोधन कर आम श्रद्धालुओं के लिए भी हितकारी बनाने का काम शुरू किया है।
अंधविश्वास से सावधान रहने की जरुरत -आर के सुकदेवे
वर्षावास पर एक दिवसीय सन्त समागम के अवसर पर अपने विचार रखते हुए डॉक्टर आरके सुखदेवे (रायपुर) ने अंधविश्वास पर प्रहार करते हुए जादू, मंत्र, भूत-प्रेत को प्रयोग कर के बताया। उन्होंने प्रयोग के तौर पर पानी डालकर आग जलाना, नारियल से खून निकालना, नींबू काटकर खून निकालना, आग को खाने जैसे अनोखे प्रयोग करके दर्शकों को हतप्रभ कर दिया। ऐसे लोगों से हमें सावधान रहने की आवश्यकता है, ऐसे लोग मानसिक तौर पर डरा कर लोगों को ठगते हैं। अंत में उन्होंने यह बताया कि ऐसे कारनामा एवं दिखावा करके बाबा बनकर लोगों को तन, मन एवं धन से ठगने का कार्य करते हैं।
कोई भी संकाय बड़ा या छोटा नहीं होता – दिलीप वासनीकर
दिलीप वासनीकर ,(विभागीय जांच आयुक्त रायपुर) ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने जीवन का अनुभव बताते हुए कहा कि मैं कला संकाय का छात्र रहा और ज्यादातर कला संकाय से ही प्रशासनिक सेवाओं के लिए चुने जाते हैं। उन्होंने स्वयं का मिसाल देकर कहा कि मेरी मां मुझे गणित लेने की सलाह देती थी। लेकिन, मैं स्वयं कला संकाय को चुना और उसमें सचिव स्तर की सेवा पाकर यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी संकाय छोटा या बड़ा नहीं होता बशर्ते हमें अंतिम लक्ष्य को समझना जरूरी होता है। सभा मैं उपस्थित विद्यालयीन छात्र-छात्राओं एवं पालको ने उनकी बातों से काफी प्रभावित हुए।
अपनी भाषा के साथ दूसरी भाषाएं भी आनी चाहिए -बलवान साहिब
बलवान साहिब (आश्रम ढेठा) ने कहा कि भाषा हमारे जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है, यदि हम अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अन्य विदेशी भाषाएं जैसे अंग्रेजी जानते हैं तो हम देश दुनिया में कहीं भी अपनी बात कर सकते हैं। उनकी बातों को समझ सकते हैं। उन्होंने अपना अनुभव बताया कि नेपाल एवं पाकिस्तान जाने का मौका मिला,लेकिन भाषाई समस्या आड़े आती रही। तब अनुभव किया कि अंग्रेजी भाषा जानते तो कबीर के विचारों को हम कितनी आसानी से उनके समक्ष प्रस्तुत कर सकते थे।
आयुर्वेद प्रभावशील चिकित्सा पद्धति-अविनाश साहेब
अविनाश साहेब (आश्रम चरोटा) ने आयुर्वेद का महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आयुर्वेद काफी प्रभावशील चिकित्सा पद्धति है। स्वयं पर भी आयुर्वेद के कई प्रयोग किए हैं जैसे स्वयं की आंखों का इलाज, स्मरण क्षमता बढ़ाना वहीं आश्रम से जुड़े हुए श्रद्धालु जनों का इलाज करना। उन्होंने 14 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं से बात करते हुए कहा कि छात्र के एग्जामफोलियो को भी जड़ से समाप्त किया जा सकता है और इस तरह से वे अपने अनुभव को दूसरों को भी सिखाते हैं।
आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की जरुरत-संत भुवनेश्वरम
संत भुवनेश्वरम ने मंदरौद स्थित मेघाघाट पर स्थापित कबीर स्तंभ जो कि महानदी के सुरम्य तट पर स्थित है, इसे पर्यटन के लिए बेहद उपयुक्त स्थल बताया एवं कहा कि इस स्थल को केंद्र बिंदु बनाकर यहां पर प्रतिवर्ष विभिन्न आध्यात्मिक ध्यान साधना शिविर के आयोजन के साथ साथ यहां पर कृषक सम्मेलन, विद्यार्थी सम्मेलन, शिक्षक सम्मेलन, सामाजिक कार्यकर्ताओं के सम्मेलन किया जाता है। यहां पर विद्यालय संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विगत 10 वर्षों से आश्रम द्वारा विद्यालय संचालित किया जा रहा है। विद्यालय में कबीर सहित अनेकों महापुरुषों के विचारों को लेकर पढ़ाई होती है। बाल एवं युवा संस्कार शिविर का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है।
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक ग्राम पंचायत मंदरौद एवं प्रकाश सिंह बादल (रावां) एवं सहसंयोजक जगजीत कौर (मेघा)थी। यह आयोजन विशुद्ध रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं आध्यात्मिक बिंदुओं पर केंद्रित था।
मुख्य रूप से उपस्थित रहे मंदरौद के उपसरपंच मोती राम साहू, जनपद सदस्य थानु राम साहू एवं समस्त ग्रामीणजन के अतिरिक्त सरस्वती शिशु मंदिर मंदरौद, और मेघा के आईटीआई, एंबीशन पब्लिक स्कूल एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करेली (छोटी), समाधान अकैडमी करेली (बड़ी), सरस्वती शिशु मंदिर (अरौद), सनत निर्मलकर (नाड़ी वैद्य), हथकरघा उद्योग महिला समूह (परखंदा), कृपा शंकर यादव (केंद्रीय संचार विभाग आयुक्त), पुरुषोत्तम साहू (सरपंच अरौद), के अलावा साध्वी मीणा, साध्वी कलिंदरी (रायपुर) मुक्ति शरण साहेब ( आश्रम कोलयारी), रतन साहेब ( आश्रम चरोटा), कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य टीका राम साहू (मंदरौद), आभार उद्बोधन चुरामन साहू (पूर्व सचिव कबीर मेला मंदरौद और उमेश चंद्राकर (परखन्दा), राधेश्याम साहू (जोरातराई )द्वारा किया गया। भोजन व्यवस्था में विशेष सहयोग विकास रम्मानी द्वारा मिला।