क्या है एनसिपिईडिपि – जावेद आबिदी? छत्तीसगढ़ में दो प्रतिभागियों का चयन, जानें कौन है और उनका लक्ष्य क्या है।

एनसिपिईडिपि – जावेद आबिदी अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने पूरे देश में दिव्यांगता के क्षेत्र में फेलोशिप के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया। जिसमें छत्तीसगढ़ से दो प्रतिभागियों का चयन हुआ है।
एक हैं जांजगीर चांपा जिला की अस्थिबाधित दिव्यांग कृष्णा यादव एवं जिला से थानेश्वर निषाद यह भी अस्थिबाधित है। कृष्णा यादव समावेशी शिक्षा को लेकर अध्ययन कर रही हैं। वहीं दिव्यांगों के लिए रोजगार के अवसर और बेरोज़गारी विषय जिला दुर्ग ब्लाक पाटन के थानेश्वर अध्ययन कर रहा है।

दिव्यांगों के लिए शोधकार्य दिव्यांग ही करेंगे

यहां यह बताना जरूरी है कि पहली बार किसी संस्था ने दिव्यांगों के विषय को लेकर शोध कार्य योजना की शुरुआत की है। विशेष बात है कि यह शोध कार्य दिव्यांगों के लिए दिव्यांगों द्वारा दिव्यांगों के लिए किया जा रहा है। एवं इनके अध्येतावृत्ति में जो मेंटर (गाइड) है वे भी दिव्यांग ही है। अरविन्द शर्मा जो स्वयं दृष्टिबाधित होने के बावजूद कंप्यूटर शिक्षा में निपुण शिक्षक है जिसने विभिन्न संस्थाओं से जुड़कर कंप्यूटर प्रशिक्षण एवं समावेशी शिक्षा को लेकर कार्य करते हैं जांजगीर चांपा के कृष्णा यादव के गाइड हैं। थानेश्वर निषाद के मेंटर ईश्वर छाटा है वह भी स्वयं अस्थिबाधित है वर्तमान में ये महासमुंद जिले में साइडसेवर इंटरनेशनल संस्था में काम करते हैं।

ये होगा इसका उद्देश्य
फेलो कर रहे प्रतिभागी पहले तो छत्तीसगढ़ राज्य में कितने दिव्यांग है। कितने बच्चे किस रूप में दिव्यांगता से ग्रस्त है। कितने बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं। कितने बच्चों को शासन सुविधा उपलब्ध कराई है। शिक्षा के अधिकार कानून से कितना लाभ मिल रहा है। प्रशासन इन बच्चों तक पहुंच पाया है कि नहीं। समाज का ऐसे बच्चों को लेकर कितना योगदान है। दिव्यांगों को सरकार रोजगार मुहैया कराने में कितना मदद कर रही है। वहीं दिव्यांग बच्चे और युवा कहां कहां किन किन समस्याओं से जूझते है जैसी परिस्थितियों पर अध्ययन कर अपना शोध कार्य करेंगे।

एनसिपिईडिपि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की वकालत करने के साथ-साथ उनके रोजगार को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता बढ़ाना, ज्ञान, सूचना और अवसरों का निर्माण और प्रसार करना, और सभी सार्वजनिक स्थानों, उत्पादों, सेवाओं और प्रौद्योगिकियों तक आसान और सुविधाजनक पहुंच की दिशा में काम करना।

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