जिला स्तरीय नातिया कलाम प्रस्तुति में छात्रा मुनज्जा फातिमा और ख्वाहिश बानो , मोहम्मद रज़ा चयनित

लोक असर समाचार बालोद

छत्तीसगढ़ राज्य के उत्कृष्ट युवा शायरों व नातगो की तलाश के संदर्भ में छत्तीसगढ़ राज्य उर्दू अकादमी रायपुर द्वारा “तलाश- ए – नौबहार “कार्यक्रम के तहत समस्त जिला मुख्यालय में एक दिवसीय शेरो शायरी, नातिया प्रोग्राम आयोजित किया गया। इसी परिपेक्ष में विगत दिनों बालोद के नगरपालिका ऑडिटोरियम में बालोद जिले का जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित की गई जिसमें मुख्य अतिथि उर्दू अदब के जाने-माने शायर अब्दुल लतीफ खान व कार्यक्रम अध्यक्षता अरमान अश्क के साथ ही विशेष अतिथि के रूप में उर्दू के शायर सलीम अहमद सिद्धकी, लोक असर के एडिटर दरवेश आनंद व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक डॉ अशोक आकाश सहित अंचल के साहित्यकार उपस्थित थे।

उक्त कार्यक्रम में 15 वर्ष से कम उम्र के नातिया कलाम स्पर्धा में प्रथम स्थान मुनज्जा फातिमा व दूसरे स्थान पर ख्वाहिश बानो ने बेहतरीन नातिया कलाम पेश करके सभी का दिल जीत लिया। दोनों प्रतिभागी मदरसा अंजुमन बालोद की छात्राएं है। वही तीसरे स्थान पर मदरसा राजहरा से आए मोहम्मद रजा खान को सफलता मिली।

उक्त कार्यक्रम में बालोद जिले के नवोदित रचनाकारों ने भी अपनी रचना का पठन बेहतर ढंग से किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अब्दुल लतीफ खान ने नवोदित हस्ताक्षरों को कविता, ग़ज़ल लिखने के गुर बताए वही उर्दू अदब की बारीकियों के बारे में भी अच्छी जानकारी देते कहा कि उर्दू तहजीब बेमिसाल तहजीब है। आज के युवा वर्ग को उर्दू के बारे में मालूमात हो और वह अच्छी ग़ज़ल लिखें ताकि जिले का नाम रोशन हो।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अरमान अश्क ने उर्दू फारसी के उस्ताद शायर सलीम अहमद जख्मी बालोदवी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सन 1940 में 19 वर्ष की उम्र में जख्मी साहब इस बिहार के जंगली इलाके में आकर बस गए और उर्दू अदब के शेरों सुखन को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने में सफल रहे। आज सभी सुविधा होने के बावजूद उर्दू अदब की आंचलिक स्तर पर इतनी तरक्की नहीं हुई है जितना होना था।

विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित पत्रकार संपादक दरवेश आनंद ने कहा कि राज्य के उर्दू अकादमी द्वारा उर्दू नात खां व नातगो का चयन किया जा रहा है , परंतु इससे महत्वपूर्ण आयोजन के लिए पर्याप्त समय प्रतिभागियों को देना था, तथा जिले भर के तहसील तथा कस्बाई इलाकों से प्रतिभावान हस्ताक्षरों, लेखकों को इस मंच से अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलता।

जिले के साहित्यकारों में बूटूराम पूर्णे, भरत बुलंदी, देव जोशी कन्हैया लाल बारले आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम संयोजक डॉ अशोक आकाश ने अब तो आयोजन के संबंध में बताया कि उर्दू अकैडमी के माध्यम से बहुत कम समय में ही आयोजन का आगाज सफलतापूर्वक किया गया जिसमें हमारे सभी साथियों का योगदान मिला। कार्यक्रम संचालन धर्मेंद्र कुमार ने बखूबी किया।

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