लेख : डॉ. रूपेन्द्र कवि
(मानव वैज्ञानिक,साहित्यकार,लोक परोपकारी)
lokasar bilaspur
‘सत्यमेव जयते’ हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य, मूल आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है. मुंडकोपनिषद की रचना मण्डू ऋषि ने की थी. उपनिषद की रचना महर्षि मण्डू ने बिलासपुर के नजदीक शिवनाथ नदी पर स्थित मदकू द्वीप पर की थी. मण्डू ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम मदकू द्वीप पड़ा!
मुंडकोपनिषद की रचना मण्डू ऋषि ने की थी. पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में पुरातात्विक खुदाई की गई तो पता चला है कि इस उपनिषद की रचना महर्षि मण्डू ने बिलासपुर के नजदीक शिवनाथ नदी पर स्थित मदकू द्वीप पर की थी. मण्डू ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम मदकू द्वीप पड़ा!
सत्यमेव जयते का सूत्रवाक्य मुण्डक-उपनिषद से लिया गया है. यह मूलतः मुण्डक-उपनिषद के सर्वज्ञात मंत्र 3.1.6 का शुरुआती हिस्सा है. मुण्डक-उपनिषद के जिस मंत्र से यह अंश लिया गया है, वह है- सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः/ येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत्सत्यस्य परमं निधानम्/
हमारे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते लिखा होता है, जो कि राष्ट्रीय आदर्श वाक्य माना जाता है. इसका मतलब होता है, हमेशा सत्य की ही जीत होती है!
हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इस लोकतंत्र को कायम रखने का सबसे बड़ा कारण भारत का संविधान है। प्रतिवर्ष हमारे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है। हम गौरव कर सकते हैं कि पवन धाम छत्तीसगढ़ के मदकू द्वीप में मंडू ऋषि द्वारा लिखित मुंडोकोपनिष्क्द से आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते “ लिया गया है!