जिला व्यवहार न्यायालय बालोद नगर की शान है, सिविल कोर्ट का नया भवन शहर में ही बने

(पत्रकार अरमान अश्क़ की ख़ास रिपोर्ट)

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नगरी निकाय के समुचित विकास की दुहाई देने वालों को शायद यह पता नहीं की बालोद शहर एक बार फिर पतन की ओर अग्रसर होता जा रहा है. यह चिंतन का विषय है. बालोद नगरीय क्षेत्र से एक के बाद एक शासकीय दफ्तरो को पृथक पृथक स्थापित कर दिया गया , जिससे रोजगार व्यवसाय में इसका सीधा असर पड़ा जिससे आम जनता को भी अनेक तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.

  इन दिनों चर्चा इस बात की भी हो रही है कि जिला न्यायालय का नवीन भवन बालोद से 5 किलोमीटर दूर आदमाबाद के पास बनाने की योजना है यदि इस योजना पर अमल करते जिला न्यायालय परिसर को बालोद शहर से पृथक किया गया तब तो बालोद शहर वीरान ही हो जाएगा क्योंकि वर्तमान में यही एक ऐसा परिसर है जहां प्रतिदिन सैकड़ो लोग यहां आते हैं जिससे बालोद नगर का व्यापार व्यवसाय ,छोटे रोजगार की सांसे चल रही है । इसके अन्यत्र जाने से आम जनता को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 
     ज्ञात हो कि बालोद शहर का यह इलाका वर्ष 1906 से आबाद है जब पहली बार बालोद को तहसील का दर्जा दिया गया था तब इस तहसील में 1700 गांव आते थे. वहां के  प्रकरणों का निपटारा बालोद तहसील में ही किया जाता था. लोग दूर-दूर से यहां न्याय प्राप्त करने आते थे. आजादी के बाद जिला पुनर्गठन की प्रक्रिया में राजनांदगांव, धमतरी, कांकेर आदि क्षेत्र में बालोद तहसील बटता गया और यहां का व्यापार व्यवसाय शून्यता की ओर बढ़ती गई.
     खनिज संपदा, वन संपदा तथा जलप्रदाय ,सिंचाई प्रबंधन में अमीर बालोद तहसील, विकास और उन्नति में बहुत पीछे रह गया, यहां रोजगार के साधन तथा व्यापार व्यवसाय चौपट होकर रह गया.  एक उम्मीद की किरण बालोद को जिला बनाने की थी वह भी वर्षों की मांग तथा आंदोलन के बाद वर्ष 2012 में मिली तो दिवास्वपन  की तरह. बालोद नाम मात्र के जिला मुख्यालय बनकर रह गया है. सयुक्त जिला कार्यालय को बालोद शहर से 5 किलोमीटर दूर  आदमाबाद सिवनी  में स्थापित कर दिया गया. वहां तक आने-जाने में आज ही आम जनता खास कर ग्रामीणों को कठिनाई होती है. पूर्व में भी आम जनता की मांग थी कि जिला कार्यालय को बालोद शहर के आसपास ही भवन निर्माण कर यहीं स्थापित किया जाए यहां पर्याप्त जमीन भी है जहां निर्माण होने से आम जनता को आने-जाने में सुविधा होगी. परंतु इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.

वर्तमान समय में बालोद शहर में ही अनेक शासकीय भवन और भूमि पर्याप्त है, जहां पर जिला न्यायालय परिसर का निर्माण किया जा सकता है बालोद के राजहरा चौक से घड़ी चौक ,जयस्तंभ चौक से सिविल लाइन तथा गंगासागर तक की परिधि में अधिकांश शासकीय भवन, आवासीय भवन अत्यंत जर्जर अवस्था में है. लगभग 20 से 25 एकड़ भूमि के जर्जर भवनों को तोड़कर इसी स्थल में जिला न्यायालय परिसर का निर्माण किया जा सकता है. शहर के मध्य में जिला न्यायालय परिषद होने से सभी वर्ग को इसका समुचित लाभ मिलेगा दूर दराज से आए ग्रामीणों को भी आवागमन में सरलता होगी.


वर्तमान समय में बालोद जिला मुख्यालय की 07 तहसीलें बालोद, गुरुर, गुण्डरदेही, डौंडी, डौंडी लोहारा, देवरी बंगला, अर्जुंदा के साथ ही 437 ग्राम पंचायतें दो नगर पालिका 8 नगर पंचायत के हजारों नागरिकों ग्रामीणों को न्यायिक प्रक्रिया में आशातीत सुविधा पूर्ववत मिलती रहेगी. ग्रामीणों को बालोद आकर फिर 5 किलोमीटर. आदमाबाद जाना नहीं पड़ेगा, बालोद शहर में सभी क्षेत्र के लिए आवागमन की सुविधा है क्योंकि बालोद जिले का क्षेत्रफल 3527.00 वर्ग किलोमीटर विशाल क्षेत्र है. पांच सीमावर्ती जिलों की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है तथा इस जिले का एक बड़ा भाग वनांचल से में आता है जहां आवागमन की सुविधा नहीं के बराबर है. मानपुर मोहला चौकी जिले के निकट ग्राम हुच्चे टोला, कुदारी दल्ली जैसे गांव के ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी होगी, वहीं कांकेर जिले से लगे ग्राम पोंड़, कोचवाही, ओना कोना, अलोरी, भी 70 किलोमीटर के करीब है. राजनांदगांव जिले से लगे ग्राम रानीतराई, कमकापार तथा दुर्ग जिले से लगे ग्रामों के ग्रामीणों को आने-जाने में काफी परेशानी होगी. जिले के समस्त सीमांत ग्रामों के ग्रामीणों को सस्ता एवं सरल न्याय देने के लिए बालोद शहर में ही जिला न्यायालय परिसर का निर्माण किया जाए तो यह आम जनता के लिए हितकर होगा, उन्हें आवागमन की सुविधा भी त्वरित मिलेगी और फिर विद्वान न्यायमूर्ति सीजेआई माननीय चंद्रचूड़ का कथन है कि कोर्ट को आम लोगों के नजदीक लाएं. क्या इस लिहाज से भी बालोद के जिला न्यायालय परिषद को बालोद शहर में ही रहने दें जहां दूर दराज गांव के किसान, मजदूर, ग्रामीण सरलता से न्याय प्राप्त करने न्याय के मंदिर तक पहुंच सके.

क्या कहते हैं शहर के बुद्धिजीवी

बालोद नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता रियाजुद्दीन कुरैशी ने कहा है कि जिला व्यवहार न्यायालय परिसर का नया भवन बालोद शहर में ही निर्माण किया जा सकता है. यहां मौजूद कोर्ट भवन के पीछे, लगभग सभी शासकीय भवने जर्जर हो गई हैं उन्हें तोड़कर सर्व सुविधा युक्त न्यायालय परिसर बनाया जा सकता है. उन्होंने यह भी सुझाया है कि यदि सिविल कोर्ट को अन्यत्र किया जाता है तब न्यायालय के रिक्त भवन में लेबर कोर्ट, उपभोक्ता फोरम, न्याय किशोर बोर्ड, परिवार (कुटुंब ) न्यायालय , जिला विधिक सहायता प्राधिकरण आदि कोर्ट को इसी भवन में स्थापित किया जाए, जिससे आम जनता को न्यायालय आने-जाने में सुविधा होगी.

नगर के व्यापारी ओम प्रकाश टाटिया ने कहा है कि सिविल कोर्ट को बालोद शहर से अलग करने से बालोद शहर के व्यापार व्यवसाय को बहुत ज्यादा नुकसान होगा. यहां न्याय प्राप्त करने पेशी में दूर दराज गांवों से प्रतिदिन सैकड़ो लोग आते हैं और अपने रोजमर्रा की चीज भी खरीदते हैं यदि सिविल कोर्ट को यहां से पृथक कर दिया गया तो निश्चित रूप से नगर के व्यापार व्यवसाय पर इसका असर पड़ेगा.

नयापारा बालोद निवासी धनराज साहू ने कहा है कि सिविल कोर्ट को बालोद नगर से अलग नहीं करना चाहिए , लगभग सभी शासकीय भवनों को बालोद शहर से पृथक कर दिया गया है. सिविल कोर्ट बालोद नगर की शान है. जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि इस ओर त्वरित ध्यान देकर आम जनता को सुविधा प्रदान करें.

युवा कारीगर जागेश सोनी ने कहा कि सिविल कोर्ट बालोद नगर में रहने से जय स्तंभ चौक में प्रतिदिन बाजार जैसा माहौल रहता है. छोटे-छोटे फुटकर व्यवसाय से लेकर नगर के बड़े व्यवसाय को इसका लाभ मिलता है.यहां से कोर्ट के हटने से शहर का यह भाग वीरान हो जाएगा तथा अनेक लोग बेरोजगार हो सकते हैं. नए कोर्ट भवन का निर्माण यही किया जाए जिससे आम जनता को इसका लाभ होगा.

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