“क्या मनुष्य ओशो को समझने को तैयार है???”

11 दिसम्बर, ओशो जन्म दिवस विशेष… आइए जानते हैं-

लोक असर समाचार

“ओशो” अद्भुत रहस्यदर्शी है। वे इस युग के सम्बुद्ध प्रज्ञा पुरुष है।
महाकवि सुमित्रा नंदन पंत

•संध्याकालीन सितारे का एकाकीपन या आकाशगंगा के पीछे छिपी रहस्यपूर्ण अथाहता। शायद अम्बर के धन-नील विस्तार में सिकुड़ी हुई चंद्रकला या प्रखर सूर्य जो शानदार गरिमा के साथ उगता है और हजारों किरणों में आकाश के टुकड़े कर देता है। सप्तर्षियों की प्रज्ञा, अनंत का चिंतन, समाधि के अतल गहराइयों में उगता हुआ गतिशील मौन, उर्जा को हर्षोल्लास के साथ समेट कर उसे परात्पर की विराटता की ओर ले जाने वाले “ओशो” प्रत्येक के भीतर जीते है, जीये चले जाते है ,अनवरत्‌।
प्रसिद्ध नृत्यांगना मल्लिका साराभाई

” ओशो ” एक महान दार्शनिक और श्रेष्ठतम रहस्यदर्शी है। वे भारतीय प्रज्ञा और चिंतन के सशक्त संदेशवाहक है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

गौतम बुद्ध के बाद समस्त मनुष्य जाति में’ ओशो ” से बढ़कर कोइ और बुद्धि प्रमाण्यवादि एवम्‌ धर्मवेत्ता नहीं हुआ।
-डॉ. भाऊसाहेब लोखंडे

आदि शंकराचार्य के बाद ओशो जैसी प्रतिभा का कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है।शायद सौ वर्ष के बाद ही लोग उन्हे समझ पायेंगे क्योकि वे अपने समय से पहले आ गए है।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक, खुशवंत सिंह

मेरे मन में ओशो के लिए अगाध प्रेम है, बुद्ध के बाद वे ही एकमात्र व्यक्ति है जिन्होंने चेतना के अंतिम स्तर महापरिनिर्वाणात्मक स्तर का स्पर्श किया है।
महाकवि नीरज.

ओशो विश्व भर में हुए प्रज्ञा के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान लोगों में से।
हास्य कवि – अशोकचक्रधर

ओशो इस युग के एकमात्र महानतम महान ऋषि, युग प्रवर्तक है।
गायक हरि ओम शरण

भगवान श्री रजनीश के शब्द विश्वात्मा-परमात्मा की वैद्धुतिक उर्जा से झँकृत है। वे महाकाल के भाल पर आगामी मनवंतरो के अक्षर उकेर रहे है। वे मंत्राक्षर है। बीजाक्षर है। इस उर्जा को संसार की कोई शक्ति अवरुद्ध नहि कर सकती। इसी से आत्म स्वरूप श्री भगवान रजनीश को मै अपनी समस्त भगवत्ता के साथ प्रणति देता हूँ।
सुविख्यात कवि एवम्‌ लेखक , वीरेंद्र कुमार जैन.

ओशो ” एक क्रांतिकारी विचारक और दार्शनिक है।उनके लेख मुझे जहाँ भी मिलते है – मै पढ़ता हूँ। देश के चिंतकों पर उनका प्रभाव पड़ेगा।
पद्मश्री डॉ. हरिवंश राय बच्चन.

आचार्य रजनीश …भगवान रजनीश और फिर ओशो बीसवीं शताब्दी का एक ऐसा महामानव जिसने अपने संक्षिप्त से जीवनकाल में इतना कुछ कर दिखाया जिसकी तुलना कम से कम पिछले दो हजार वर्ष में तो कोइ देहधारी विचारक , दार्शनिक , धर्मनेता या कहे कोई संस्कृतिपुरुष कर नहीं पाया।वे हमारे बीच बहुत दिन तक नहीं रहे, लेकिन इस अल्प समय में पुरे विश्व को इतना कुछ दे गए, जिसका मूल्यांकन भी शायद सैकड़ों वर्ष में हो। वे महान विचारक, मनीषी , सिद्ध पुरुष , अदभुत तार्किक और बेबाक सच्चाई के व्याख्याता थे।
देवीशंकर प्रभाकर (लेखक एवम्‌ फिल्म निर्देशक).

इस शताब्दी में ओशो जैसा दार्शनिक, विचारक, मनोविश्लेषक , चिंतक, साहित्यकारव्याख्याता कोई दूसरा नही हुआ।वे एक अवतार ही प्रतीत होते है।
बहुआयामी साहित्यकार – श्री शतदल .

कालजयी है ओशो। ओशो नाम है – प्रतिभा और प्रज्ञा के प्रचंड सूर्य का , जिसने अपने तीक्ष्ण किरणों से विश्व के अंधकार की छाती पर अपने सुनहरे हस्ताक्षर किए है। वे असाधारण प्रतिभा संपन्न विचारक है – जिन्हे मंत्र दृष्टा ऋषियों और उपनिषद् के रचनाकारो की परम्परा में निःसंकोच रखा जा सकता है।
राज्य कवि उदयभानु हंस

स्पष्टतः ओशो एक अतिशय कारगर व्यक्ति है, अन्यथा वह् इतना बड़ा खतरा न बनते। वह वही बातें कह रहे हैं, जिन्हें कहने के लिए किसी और व्यक्ति में साहस नहीं है। एक ऐसा व्यक्ति जसके पास वे सब किस्म के विचार है जो न केवल उत्तेजक है बल्कि जिनमे सत्य की अनुगुंज भी है।जो नियंत्रण की सनक वालो को इतना भयभीत करती है कि उनके नाडे खुल जाते है।अधिकारि तंत्र ओशो के सहज बोध के संदेश से उनको खतरनाक महसूस करता है। यदि रोनाल्ड रीगन की चलती तो यह सभ्य शाकाहारी व्हाईट हाउस के लान पर सूली चढ़ा दिया गया होता।
लोकप्रिये अमेरिकी लेखक, टौम रौबिंस

ओशो विश्व के विपुल्तम साहित्य सर्जक है, उनके शब्द निपट जादू है।
सुविख्यात लेखिका अमृता प्रीतम

भारत ने अब तक जितने विचारक पैदा किए है , वे उनमे सबसे मौलिक, सबसे उर्वर , सबसे स्पष्ट , और सर्वाधिक सृजनशील विचारक है। उनके जैसा कोई व्यक्ति हम सदियो तक न देख पायेंगे।
अंतर्राष्ट्रीये ख्याति प्राप्त लेखक, खुशवंत सिंह

कोई भी सभ्यता एक सदी में एक भी उन जैसा व्यक्ति पैदा कर सके तो उसे किसी बात के लिए लज्जित होने की जरुरत नहीं है।वे महानतम अदाकार है।
वरिष्ठ पत्रकार -प्रीतीश नंदी

ओशो आपके भीतर रचनात्मक उर्जा को जगाते है। वे कलाकारो के रहनुमां है, रहबर है। हमारे वक्त से इतनी बड़ी हस्ती गुजर गई और हमने ध्यान नही दिया। बाद में जाकर, एक सदी के बाद हम तलाश करेंगे, कि वे क्या थे।
गीतकार गुलजार

ओशो के अभिनय में क्रांति है।वे कृष्णत्व को पा चुके है। यह ब्रम्ह विद्ध्या उनमे सहज ही प्रकट हुई है।
श्री हरींद्र दवे
(भारतीय साहित्य के सुविख्यात सर्जक साहित्य अकादमी, रणजीतराये गोल्ड मेडल, अर्विंदो मेडल, केएम मुंशी गोल्ड मेडल, महाराष्ट्र गौरव, और कबीर सम्मान से सम्मानित)

मानव जाती के समग्र इतिहास में रजनीश जैसे चैतन्य पुरुष विरल में भी विरलतम हुए है, उन्हें किसी परम्परा में नही रखाजा सकता।
डॉ. महारज कृष्ण जैन

जिस व्यक्ति पर विश्व की इतनी स्त्रिया विश्वास करती है , वह् उतना ही पवित्र, उतना ही पुर्ण पुरुष है।
मदन कुंवर पारेख

वे असाधारण गुणों से संपन्न महामानव थे।
जानकी वल्लभ शास्त्री

आज पहली बार उसने गुनगुनाये मेरे शेर,आज पहली बार अपनी शायरी अच्छी लगी। ओशो ने अपने प्रवचनो में मेरी कविता को जगह दी है …अब मुझे कोई पुरस्कार नहीं चाहिये।
कवि- शैल चतुर्वेदी

मेरी दृष्टि में मनुष्य जाति के इतिहास में ओशो जितनी विराट चेतना इतने बहुमुखी आयामों के साथ आज तक अवतरित न हुई थी।
अगेह भारती , एम एम डी फिल एम

भरे मेघ से बरसे , फूटी कोंपल, महका उपवन, गंगा की शुचिता फैली कण कण, आनंद घन, रसौ वै सः, ओशो को शत शत नमन।
डॉ. वसंत जोशी (पी एच डी कैलिफोरनिया , पीएच डी औक्स्फोर्ड)
मेरी दृष्टि में ओशो मनुष्य को सहजता और सरलता से जीवन जीने की कला सिखाई है। अराजकता भरी जिंदगी को कैसे प्रेम और ध्यान से सृजित किया जा सकता इस की कुंजी मनुष्य को दी है।

  • दरवेश आनंद (स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक)*

Osho is one of the most important educators and philosophical and religious leaders in the late 20th century.
Author Robert Rimmy

He is the rarest and most talented religionist to appear in the century.
Kazyyoshi kino (Professor of Buddhist studies)

Osho is certainly a religious man, anintelligent human and one of those rare humans expressing himself with joy.-.
Paul Reps (Author of zen flesh, zen bones)
.

His incredible taped discourses and book have inspired me and millions of other on the path of self evolution….his presence here is like a great bell tolling …awaken, awaken, and awaken.-
James Coburn (Actor)

I have been charmed from reading his book.
Fedirico Fellini (Film Director)

OSHO is the most important and most successful teacher in the domain that lies at the intersection of psychology, psychotherapy, philosophy and religion-.
Dr. Guy L. Claxton, D. Phil (oxford)

क्या मनुष्य ओशो को समझने को तैयार है???”
टॉम रॉबिन्स एक प्रसिद्ध अमरिकी उपन्यासकार हैं जिनके कुछ उपन्यासों का हॉलिवुड में फिल्मांतरण भी किया गया है। 1987 में उन्होंने डॉ. जॉर्ज मेरेडिथ द्वारा ओशो पर लिखी पुस्तक, ‘भगवान: दि मोस्ट गॉडलैस यैट दि मोस्ट गॉडली अॉफ मैन, की भूमिका लिखी थी। उसी भूमिका को उन्होंने अपनी पुस्तक ‘वाइल्ड डँक्स फ्लाइंग बैकवर्ड’ में एक टिप्पणी के साथ सम्मिलित किया है। प्रस्तुत है उनकी पुस्तक से यह संपूर्ण आलेख:

    मैं ओशो का शिष्य नहीं हूं। मैं किसी भी गुरु का शिष्य नहीं हूं। बल्कि मैं तो मानता हूं कि पूर्वीय गुरु व्यवस्था पश्चिम में चेतना के विकास में उपयोगी नहीं है (जबकि इस बात को मानने वाला भी मैं पहला होउंगा कि जो 'उपयोगी' होता है वह सदा महत्वपूर्ण नहीं होता)। जिस प्रकार का व्यक्तिवादी होने का मैं दावा करता हूं उसके साथ गुरत्व का थोडा-सा भी मेल नहीं बैठता। लेकिन हां, यदि मुझे अपनी आत्मा किसीको सौंपनी ही हो तो मैं किसी राजनैतिक पार्टी या किसी मनोविश्लेषक की बजाय ओशो जैसे किसी को सौंपना चाहूंगा।

तो, मैं कोई संन्यासी नहीं हूं। लेकिन जब कोई हरी बयार मेरे द्वार-दरवाजों को झकझोर जाए तो उसे पहचानने की क्षमता जरुर रखता हूं, और ओशो तो वह प्यारी-सी आंधी हैं जो इस ग्रह को अपनी चपेट में लेते हुए रबाइयों और पोपों की टोपियां उडा रही है, ब्यूरोक्रेट्स की मेजों पर पडे झूठ के पुलिंदो को तितर-बितर कर रही है, शक्तिशालियों की घुडसालों में अफरा-तफरी मचा रही है, रुग्ण नैतिकतावादियों की धोतियां खोल रही है, और आध्यात्मिक रुप से मरे हुओं को वापस जिंदा कर रही है।
ओशो नाम का यह तूफान कोई झूठ-मूठ के आश्वासन नहीं देता। वे कोई सांप का तेल नहीं बेच रहे। वे न तो आपके दांतो को मजबूत करने के लिए कोई मंडला देते हैं और न ही आपको करोडपति बनाने के लिए कोई मंत्र देते हैं। अध्यात्म के बाजार में सब नियमों को उन्होंने ताक पर रख दिया है। उनके इस ताजातरीन रवैये ने उन्हें मनुष्य के इतिहास की सबसे मजबूत संगति में ला बैठाया है।

जीसस के पास अपनी कहानियां थीं, बुध्द के पास अपने सूत्र थे, मौहम्मद के पास अरेबियन नाइट की कल्पनाएं थीं। ओशो के पास लोभ, भय, अज्ञान और अंधविश्वास से लिप्त मानव प्रजाति के देने के लिए कुछ अधिक मौजूं है : उनका ब्रह्मांडीय व्यंग।

मेरे अनुसार, ओशो ने जो किया है वह है हमारे नकाबों को भेद डालना, हमारे भ्रमों को ध्वस्त कर देना, हमें हमारी अंधी लतों से निकालना, और सबसे महत्वपूर्ण तो हमें चेताना कि स्वयं को बहुत गंभीरता से लेकर कैसे हम स्वयंको ही सीमित कर लेते हैं। परम आनंद की ओर उनका मार्ग हमारे अहंकार को मजाक में उडाता हुआ जाता है।

हां, बहुत से लोगों को यह मजाक समझ में नहीं बैठता। खासकर सत्ताधीशों के। मजाक तो उनके सिर के ऊपर से निकल जाता है, लेकिन कहीं गहरे में वे यह जरूर महसूस करते हैं कि ओशो के संदेश में उनके लिए कुछ खतरनाक है। नहीं तो एक आकेले ओशो को ऐसी प्रताडना के लिए वे क्यों चुनते जैसी उन्होंने किसी बनाना रिपब्लिक के तानाशाह या किसी माफिया डॉन को भी न दी होती? अगर रोनाल्ड रीगन का बस चलता तो वह इस कोमल से शाकाहारी को व्हाइट हाउस के दालान में सूली पर लटकाना देना पसंद करता।

उनको जिस खतरे का अहसास होता है वह यह है कि ओशो के शब्दों में जो छिपा है, उसे यदि पूरी तरह से समझ लिया गया तो नर-नारीयां उनके नियंत्रण से मुक्त हो जाएंगे। राज्य, और अपराध में उनके भागीदार—-संगठित धर्म–को स्वतंत्र और मुक्त मनुष्यों की संभावना से अधिक कुछ भी आतंकित नहीं करता।

लेकिन स्वतंत्रता एक शक्तिशाली शराब जैसी है। इसे पीने वालों को इसके नशे के साथ समायोजन बिठाने में समय लगता है। कुछ लोग-जिनमें ओशो के कुछ संन्यासी भी होंगे—यह समायोजन कभी नहीं बिठा पाते। संसार भर में कितने ही लोग हैं जिन्होंने कई प्रकार की स्वतंत्रताओं की बात की है, लेकिन बार-बार हमने देखा है कि लोग अपनी स्वतंत्रता को संभाल नहीं पाते। ‘ओशो का अनुसरण करने वाले कितने लोग स्वतंत्र हो पाते हैं, और कितने उस स्वतंत्रता को संभाल पाते हैं यह देखा जाना अभी बाकी है’। इतिहास को देखें और मनुष्य नाम के पशु की जडता को देखें तो लगता तो ऐसा है कि उसकी भ्रष्ट उदासीनता को तोडने के लिए एक करुणामय मनीषी की गैरपारंपरिक प्रज्ञा से भी अधिक शायद यह जरूरी हो कि यह मनुष्यता पूरी समाप्त हो और फिर से शुरू हो।
खैर, वह हो कि न हो, लेकिन ओशो की प्रज्ञा हमें उपलब्ध है। उनकी अंतर्दृष्टि हमें उपलब्ध है और हम चाहें तो अपने मुखौटों के पार देख सकते हैं। इस अंतर्दृष्टि में ताकत है कि वह परिणाम की परवाह किए बगैर अभिव्यक्त हो सकती है। इस अंतर्दृष्टि में प्रेम भी है और नटखट शरारत भी। यह ओशो की जीवंतता है कि वे सारे भौतिक सुविधाओं को खुलकर जीते भी हैं और फिर उन्हीं में अटके रह जाने के खतरे से भी चेताते हैं। ‘जोरबा दि बुध्दा की इस अंतर्दृष्टि को हम समझ लें, तो सब समझ गए।

स्वभावत; जिन पत्रकारों ने ओशो पर शोध की है उनमें से अधिकांश उनके तरीकों, उनके संदेश और उनकी उलटबांसियों को समझ ही नहीं पाए। यहां तक कि उनके क ई अनुयायी भी विबूचन में पड गए। खैर, यह कोई नयी बात नहीं है। जीसस, बुध्द और सुकरात भी केवल राजनैतिक-धार्मिक सत्ताओं द्वारा ही नहीं अपने कई शिष्यों द्वारा भी गलत समझे गए थे। यह शायद इस मार्ग का नियम ही है। इसीलिए तो झेन में कहते हैं, ‘गुरु सदा सडक पर मार दिया जाता है।’ शायद अकसर तो उनके ही द्वारा जो उसे प्रेम करने का दावा करते हैं।

जब भी ओशो के किसी शिष्य ने कुछ आपत्तिजनक किया है तो मीडिया व जनता ने ओशो पर इलजाम लगाया है। वे यह नहीं समझ पाते कि ओशो उन्हें नियंत्रित नहीं करते, और न ही ऐसा उनका कोई इरादा रहा है। ऊपर से किसी द्वारा किसीको नियंत्रित करने का प्रयास उनके संदेश के विपरीत जाता है।

जब भी ओशो के नाम पर कोई मूढता की गई है, उन्होनें अपना सिर झटककर केवल इतना कहा है, ‘मुझे पता है वे थोडे बुद्धू हैं, पर उन्हें इससे गुजरना पडेगा।’ इतनी स्वतंत्रता, इतनी सहिष्णुता को समझ पाना तो मानव अधिकारों की माला जपने वालों के लिए भी उतना ही मुश्किल है जितना कि किसी जडबुद्धि के लिए।
बस कामना करता हूं कि हम उन्हें अपनी अंधी परंपराओं के फिल्टर उतारकर सुनें।

  • डॉ. जॉर्ज मेरेडिथ द्वारा लिखीत ‘भगवान: दि मोस्ट गॉडलेस येट दि मोस्ट गॉडली अॉफ मैन’ की भूमिका,1987.

*ओशो ने 150000 किताबों का अध्ययन किये है ।और 650 किताबें उनके नाम से प्रकाशित है। बोलने पर इतना नियंत्रण था कि जो बोल दिया वही अंतिम है, वही छपता है।उन्होंने उस में कभी सुधार नहीं किया।

“माफ़ करना” या “मेरा मतलब ये नहीं था “…आदि शब्दों का कभी भी उपयोग नहीं किया , कोई भी व्यक्ति ओशो से वाद -विवाद नही कर सका। पोप ने कभी उनका चैलेंज स्वीकार नहीं किया। ओशो को गालियां बहुत दी गयी, किन्तु अखंड विश्व में कोई भी व्यक्ति उनसे शास्त्रार्थ करने को राजी नहीं हुआ।

  • इक्कीस देशों ने अपने देश में ओशो को प्रवेश नहीं दिया. किन्तु कोई भी उनके संदेश के अश्वमेध के रथ को रोक नहीं पाया। ओशो विश्व के अपराजित योद्धा हैं। ओशो इतने विशाल हैं कि कोई भी धर्म या देश उन्हें आत्मसात् नहीं कर सकता और फिर भी हर आदमी को लगता है ओशो मेरे ही मन की बात करते हैं।

प्यारे Osho को प्रेम – प्रणाम

  • रजनीश”ओशो”फेक्टशीट पड़ोसी मुल्क नेपाल को ओशो सिटी कहा जाने लगा है-
    वहाँ 65%ओशो शिष्य….दक्षिणी अमेरिका मे ….1.5कड़ोड़ शिष्य यह 5 साल पूर्व का तथ्य है…!!
    आप स्वयं समझे अभी कितनी संख्या होंगी!!!
    भगवान श्री रजनीश “ओशो”फेक्टशीट”पत्रिकाएं..!!
    *जर्मनी में’ओशो टाइम्स’! यू, एस, ए में’ ओशो विहा”! भारत में “ओशो वर्ल्ड, यैस ओशो, “ओशो धारा” (हिंदी/अंग्रेजी) श्री रजनीश”ओशो” फेक्टशीट”
  • ओशो के हिंदी और इंग्लिश में एमपी थ्री!सीडी! वि सी डी और डी वी डी, ये लगभग 5500 घण्टे अंग्रेजी में तथा 4800 घण्टे हिंदी में हैं, वीडियो प्रवचन लगभग 1800 घण्टे में है, मुख्यतः अंग्रेजी में तथा कुछ हिंदी में 700 पुस्तक साहित्य जगत में विपुल्तम साहित्यकार का स्थान हर एक मिनट में संसार में तीन पुस्तकें बिकती हैं। जिसका दावा अन्य कोई साहित्यकार नही कर सकता। 63 भाषाओँ में ओशो पुस्तकों का अनुवाद और 100 देशों से अधिक में प्रकाशन शायद ही कोई ऐसा सप्ताह हो जब किसी न किसी देश में ओशो पुस्तक को बेस्ट सेलर्स लिस्ट में स्थान न मिलता हो।

300से अधिक शोधकार्य, कोरिया के स्नाकोत्तर पाठ्यक्रम में ओशो के पुस्तकें सम्मिलित हैं। पुणे व जबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा ओशो पीठ के निर्माण की पेशकश ओशो पुस्तकों को डिजाइन, प्रोडक्शन क्वालिटी के आधार पर भारत, जर्मनी, अमरीका व इटली में सम्मानित की गयी भारतीय पार्लियामेंट में केवल ओशो के ही सम्पूर्ण साहित्य को स्थान दिया गया है।

  • 1000 ओशो समर्पित वेबसाइट 3,87,000 एंट्रीज यू-ट्यूब पर और 2.7 एंट्रीज ट्विटर पर उपलब्ध 4.5मिलियन एंट्री है… आप फ्री में ओशो की पूरी पुस्तक डउनलोड भी कर सकते हैं । पुरे विश्व के लोग चौबीसों घण्टे ओशो की वाणी तथा प्रवचनों को रेडियो के माध्यम से सुन सकते हैं । 100 वेबसाइट पर सम्बंधित खबरें हर समय उपलब्ध।…

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